
प्रथम-स्वतंत्रता-संग्राम-आन्दोलन- 1857
क्रांति 1857 की

स्वाधीनता संग्राम-1857 से 1947 तक -
*सम्पूर्ण भारत में 562 देसी रियासते थी तथा राजस्थान में 19 देसी रियासते थी |
स्वाधीनता संग्राम
(1)सहायक संधि की नीति :-प्रारम्भ -गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली (1798-1805)
प्रारम्भ के पीछे कारण-देसी राज्यों को अंग्रेजो की राजनीतिक का हिस्सा बनाने चाहते थे | इस नीति के तहत देसी राज्यों की आंतरिक सुरक्षा व विदेश नीति का उत्तरदायित्व अंग्रेजो पर था |
#राजस्थान में सर्वप्रथम भरतपुर राज्य ने 29 सितंबर 1803 ई.
#रक्षात्मक एवं आक्रमण संधि सर्वप्रथम अलवर रियासत ने -14 नवम्बर 1803
नोट-भारत में सबसे पहले हैदराबाद निजाम के साथ 1798 को की गई थी |
(2)विलय की नीति:-लार्ड डलहौजी द्वारा प्रांरभ की गयी |
- इस संधि के तहत देसी राज्यों के राजा के निःसंतान मर जाने पर उसकी रियासत ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दी जाती थी |
-इसके तहत सबसे पहले 1848 में सतारा रियासत को और फिर 1856 में अवध को हड़पा |
(3)सैना में एनफील्ड रायफलों में चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग ने सेनिको की धार्मिक भावनाओ को आहत किया | यह क्रांति का तात्कालिक कारण था |
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एनफील्ड राइफल साथ चर्बी वाले कारतूस |
(4)1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का प्रारम्भ 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में सैना विद्रोह कर दिया |
नेतृत्व -मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर
भारत -गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग
राजस्थान -AGG जॉर्ज पैटिक्स लॉरेंस
राजस्थान में 1857 की क्रांति :-
क्रांति का प्रतीक चिह्न -कमल का फूल व रोटी
क्रांति शुरुआत -28 मई 1857
क्रांति का प्रतीक चिह्न -कमल का फूल व रोटी
क्रांति शुरुआत -28 मई 1857
राजस्थान में 1857 की क्रांति के प्रमुख केंद्र :-
#राजस्थान में 06 सैनिक छावनियाँ थी -
ट्रिक - ए ननी ब्या देख
(1) ए - एरिनपुरा (पाली)
(2) न - नसीराबाद (अजमेर)
(3) नी -नीमच (मध्यप्रदेश)
(4) ब्या -ब्यावर (अजमेर)
(5) दे -देवली (टोंक)
(6) ख -खैरवाडा (उदयपुर)
(1)नसीराबाद छावनी :-
15 वी नेटिव इंफेंट्री के सेनिको ने तोपखानों के सेनिको को अपनी और मिला कर विद्रोह कर दिया |
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नसीराबाद छावनी पर विद्रोही सैनिको का अधिकार |
प्रारम्भ - 28 मई 1857
-सेनिको ने छावनी को लूट कर तहस-नहस कर दिया ओट दिल्ली की और चल दिए | इन सैनिको ने 18 जून को दिल्ली पहुँचकर वह के अंग्रेज सैनिको को हराया |
-अंग्रेज अधिकारी वाल्टर व हीथकोट ने मेवाड के सैनिको की सहायता से पीछा किया परन्तु सफलता नहीं मिली |
(2)नीमच छावनी:-
विद्रोह-03 जून 1857
नेतृत्व-हीरासिंह
डूंगला-वह स्थान जहाँ पर नीमच से बच कर भागे हुए 40 अंग्रेज अफसर व उनके परिवारजनों को आंतककारियो ने बंधक बना लिया था |
#मेवाड़ PA मेजर शावर्स ने मेवाड़ की सैना की सहायता से उन्हें छुड़ाकर उदयपुर पहुंचाया |
#मेवाड़ महाराजा स्वरुपसिंह ने उन्हें पिछोला झील के जगमंदिर में शरण दी |
(3)एरिनपुरा छावनी :-
21 अगस्त 1857 को पूर्बिया सैनिको ने विद्रोह किया |
नारा-' चलो दिल्ली मारो फिरंगी '| (4)आउवा का विद्रोह:-
नेतृत्व- खुशालसिंह
जोधपुर महाराजा-तख्तसिंह
(A)बिथौड़ा का युद्ध:-
8 सितम्बर 1857 को खुशहालसिंह v/s कैप्टन हीथकोट की सैना साथ युद्ध लड़ा गया | अंग्रेजो का साथ जोधपुर के शासक महाराजा तख्तसिंह ने दिया|
(B)चेलावास का युद्ध:- 18 सितम्बर 1857
#इस युद्ध में भी अंग्रेजो की हार हुई| अजमेर से सेना ले कर आया AGG पैट्रिक लॉरेंस इनका साथ दिया गया मारवाड़ के पॉलिटिकल एजेंट मोक मेसन ने दिया |
#मोकमेसन मारा गया क्रांतिकारियों ने इसका सिर आउवा के किले के दरवाजे पर लटका दिया |
उपनाम -गौरो व कालों का युद्ध
#ठाकुर खुशालसिंह ने शरण-कोठारिया के रावत जोधसिंह के पास
#आत्मसम्पर्ण- 8 अगस्त 1860 (नीमच)
#मेजर टेलर की अध्यक्षता में एक कमीशन ने उनके खिलाफ जाँच की | और 10 नम्बर 1860 को खुशहालसिंह को रिहा कर दिया गया |
(5)कोटा का विद्रोह :-
15 अक्टूबर 1857 को क्रांति प्रारम्भ
PA-मेजर बर्टन
क्रन्तिकारी -जयदयाल व मेहराबखाँ
#राजस्थान में 1857 की क्रांति का सर्वाधिक योगदान कोटा का ही रहा |
#कोटा में आमजन के साथ राजकीय सेनिको ने भी अंग्रेजो के साथ संघर्ष किया |
#क्रांतिकारियों ने मेजर बर्टन का सिर धड़ से अलग कर दिया व सारे शहर में खुला प्रदर्शन किया | साथ ही उनके दो पुत्रो व एक डॉक्टर सैंडलर काटम को भी मौत के घाट उतर दिया |
#कोटा के महाराव रामसिंह को उनके महल में नजर बंद किया एवं कोटा राज्य की तोपों को अपने कब्जे में ले लिया |
#मार्च 1858 को मेजर रॉबर्ट्स के नेतृत्व में अंग्रेजी सैना ने कोटा की सेना पर आक्रमण किया और 30 मार्च 1858 को कोटा पर अधिकार कर लिया और जयदयाल व मेहराबखाँ को फांसी दे दी गयी |
नोट- करोली के महारावल मदनपाल की सेना ने मेजर रॉबटर्स के साथ थी |
*प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का अंत:-
-सितम्बर 1857 को मुग़ल सम्राट बहादुरशाह जफर को पकड़ लिया गया और दिल्ली पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया|
-क्रांति के असफल होने का कारण देसी शासको का अंग्रेजो का साथ देना भी था|
-क्रांतिकारियों के पास हथियारों की कमी व धन और रसद भी कम था |
-बीकानेर शासक सरदारसिंह राजस्थान के एकमात्र ऐसे शासक थे जो स्वय अपनी सेना लेकर अंग्रेजो की सहायतार्थ अपनी रियासत से बाहर गए और 'बाड़लू ' नामक स्थान पर क्रांतिकारियों को परास्त किया |
-करोली शासक ने भी अपनी सेना को अंग्रेजो की मदद के लिए भेजा |
-जयपुर महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने अपनी सेना अंग्रेजो की सहायतार्थ मेजर ईडन के पास भिजवाई थी |
क्रांति का तात्कालिक प्रभाव :-
-ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने 2 अगस्त 1858 को भारत में इस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर यहां का शासन सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन कर दिया |
-गवर्नर जनरल का पद का नाम वयसरायल हो गया |
-भारत का प्रथम वायसराय लार्ड केनिंग को नियुक्त किया गया |
विद्रोह-03 जून 1857
नेतृत्व-हीरासिंह
डूंगला-वह स्थान जहाँ पर नीमच से बच कर भागे हुए 40 अंग्रेज अफसर व उनके परिवारजनों को आंतककारियो ने बंधक बना लिया था |
#मेवाड़ PA मेजर शावर्स ने मेवाड़ की सैना की सहायता से उन्हें छुड़ाकर उदयपुर पहुंचाया |
#मेवाड़ महाराजा स्वरुपसिंह ने उन्हें पिछोला झील के जगमंदिर में शरण दी |
(3)एरिनपुरा छावनी :-
21 अगस्त 1857 को पूर्बिया सैनिको ने विद्रोह किया |
नारा-' चलो दिल्ली मारो फिरंगी '| (4)आउवा का विद्रोह:-
नेतृत्व- खुशालसिंह
जोधपुर महाराजा-तख्तसिंह
(A)बिथौड़ा का युद्ध:-
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बिथौड़ा का युद्ध करते सैनिक |
(B)चेलावास का युद्ध:- 18 सितम्बर 1857
#इस युद्ध में भी अंग्रेजो की हार हुई| अजमेर से सेना ले कर आया AGG पैट्रिक लॉरेंस इनका साथ दिया गया मारवाड़ के पॉलिटिकल एजेंट मोक मेसन ने दिया |
#मोकमेसन मारा गया क्रांतिकारियों ने इसका सिर आउवा के किले के दरवाजे पर लटका दिया |
उपनाम -गौरो व कालों का युद्ध
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चेलावास का युद्ध पाली |
#आत्मसम्पर्ण- 8 अगस्त 1860 (नीमच)
#मेजर टेलर की अध्यक्षता में एक कमीशन ने उनके खिलाफ जाँच की | और 10 नम्बर 1860 को खुशहालसिंह को रिहा कर दिया गया |
(5)कोटा का विद्रोह :-
15 अक्टूबर 1857 को क्रांति प्रारम्भ
PA-मेजर बर्टन
क्रन्तिकारी -जयदयाल व मेहराबखाँ
#राजस्थान में 1857 की क्रांति का सर्वाधिक योगदान कोटा का ही रहा |
#कोटा में आमजन के साथ राजकीय सेनिको ने भी अंग्रेजो के साथ संघर्ष किया |
#क्रांतिकारियों ने मेजर बर्टन का सिर धड़ से अलग कर दिया व सारे शहर में खुला प्रदर्शन किया | साथ ही उनके दो पुत्रो व एक डॉक्टर सैंडलर काटम को भी मौत के घाट उतर दिया |
#कोटा के महाराव रामसिंह को उनके महल में नजर बंद किया एवं कोटा राज्य की तोपों को अपने कब्जे में ले लिया |
#मार्च 1858 को मेजर रॉबर्ट्स के नेतृत्व में अंग्रेजी सैना ने कोटा की सेना पर आक्रमण किया और 30 मार्च 1858 को कोटा पर अधिकार कर लिया और जयदयाल व मेहराबखाँ को फांसी दे दी गयी |
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कोटा में क्रांतिकारियों को बंधी बना लिया गया |
*प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का अंत:-
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अंग्रेजो का दिल्ली पर अधिकार |
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1857 की असफलता के कारण |
-क्रांतिकारियों के पास हथियारों की कमी व धन और रसद भी कम था |
-बीकानेर शासक सरदारसिंह राजस्थान के एकमात्र ऐसे शासक थे जो स्वय अपनी सेना लेकर अंग्रेजो की सहायतार्थ अपनी रियासत से बाहर गए और 'बाड़लू ' नामक स्थान पर क्रांतिकारियों को परास्त किया |
-करोली शासक ने भी अपनी सेना को अंग्रेजो की मदद के लिए भेजा |
-जयपुर महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने अपनी सेना अंग्रेजो की सहायतार्थ मेजर ईडन के पास भिजवाई थी |
क्रांति का तात्कालिक प्रभाव :-
-ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने 2 अगस्त 1858 को भारत में इस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर यहां का शासन सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन कर दिया |
-गवर्नर जनरल का पद का नाम वयसरायल हो गया |
-भारत का प्रथम वायसराय लार्ड केनिंग को नियुक्त किया गया |
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