Friday, April 5, 2019

            
प्रथम-स्वतंत्रता-संग्राम-आन्दोलन- 1857 
 
 क्रांति 1857 की 

स्वाधीनता संग्राम-1857 से 1947 तक -
*सम्पूर्ण भारत में 562 देसी रियासते थी तथा राजस्थान में 19 देसी रियासते थी | 

                  स्वाधीनता संग्राम

(1)सहायक संधि की नीति :-प्रारम्भ -गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली (1798-1805)
      
        प्रारम्भ के पीछे कारण-देसी राज्यों  को अंग्रेजो की राजनीतिक का हिस्सा बनाने  चाहते थे | इस  नीति के तहत देसी  राज्यों  की आंतरिक सुरक्षा व विदेश नीति का उत्तरदायित्व अंग्रेजो पर था | 
#राजस्थान में सर्वप्रथम भरतपुर राज्य ने 29 सितंबर 1803 ई.

#रक्षात्मक एवं आक्रमण संधि सर्वप्रथम अलवर रियासत ने -14 नवम्बर 1803 

नोट-भारत में सबसे पहले हैदराबाद निजाम के साथ 1798 को की गई थी | 

(2)विलय की नीति:-लार्ड डलहौजी द्वारा प्रांरभ की गयी | 
- इस संधि के तहत देसी राज्यों के राजा के निःसंतान मर जाने पर उसकी रियासत ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दी जाती थी |
-इसके तहत सबसे पहले 1848 में सतारा रियासत को और फिर 1856 में अवध को हड़पा | 

(3)सैना में एनफील्ड रायफलों में चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग ने सेनिको की धार्मिक भावनाओ को आहत किया | यह क्रांति का तात्कालिक कारण था |  
एनफील्ड राइफल साथ चर्बी वाले कारतूस 

(4)1857 के प्रथम  स्वतंत्रता संग्राम का प्रारम्भ 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में सैना विद्रोह कर दिया | 

नेतृत्व -मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर 
भारत -गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग 
राजस्थान -AGG जॉर्ज पैटिक्स लॉरेंस 
राजस्थान में 1857 की क्रांति :-
क्रांति का प्रतीक चिह्न -कमल का फूल व रोटी 
क्रांति शुरुआत  -28 मई 1857 
राजस्थान में 1857 की क्रांति के प्रमुख केंद्र :-
#राजस्थान में 06 सैनिक छावनियाँ थी -
ट्रिक - ए  ननी ब्या देख 
(1) ए - एरिनपुरा       (पाली)
(2) न - नसीराबाद     (अजमेर)
(3) नी -नीमच             (मध्यप्रदेश)
(4) ब्या -ब्यावर             (अजमेर)
(5) दे -देवली                 (टोंक) 
(6) ख -खैरवाडा            (उदयपुर)

(1)नसीराबाद छावनी :-
                                    15 वी नेटिव इंफेंट्री के सेनिको ने तोपखानों के सेनिको को अपनी और मिला कर विद्रोह कर दिया | 
नसीराबाद छावनी पर विद्रोही सैनिको का अधिकार 
प्रारम्भ - 28 मई 1857 
-सेनिको ने छावनी को लूट कर तहस-नहस कर दिया ओट दिल्ली की और चल दिए |  इन सैनिको ने 18 जून को दिल्ली पहुँचकर वह के अंग्रेज सैनिको को हराया | 
-अंग्रेज अधिकारी वाल्टर व हीथकोट ने मेवाड के सैनिको की सहायता से पीछा किया परन्तु सफलता नहीं मिली | 
(2)नीमच छावनी:-
                             विद्रोह-03 जून 1857 
                             नेतृत्व-हीरासिंह 
डूंगला-वह स्थान जहाँ पर नीमच से बच कर भागे हुए 40 अंग्रेज अफसर व उनके परिवारजनों को आंतककारियो ने बंधक बना लिया था | 
#मेवाड़ PA मेजर शावर्स ने मेवाड़ की सैना की सहायता से उन्हें छुड़ाकर उदयपुर पहुंचाया | 
#मेवाड़ महाराजा स्वरुपसिंह ने उन्हें पिछोला झील के जगमंदिर में शरण दी | 

(3)एरिनपुरा छावनी :-
                                   21 अगस्त 1857 को पूर्बिया सैनिको ने विद्रोह किया | 
                                                नारा-' चलो दिल्ली मारो फिरंगी '| (4)आउवा का विद्रोह:-
                                   नेतृत्व- खुशालसिंह 
                                   जोधपुर महाराजा-तख्तसिंह 
(A)बिथौड़ा का युद्ध:-
बिथौड़ा का युद्ध  करते सैनिक 
 8 सितम्बर 1857 को खुशहालसिंह v/s कैप्टन हीथकोट की सैना साथ युद्ध लड़ा गया | अंग्रेजो का साथ जोधपुर के शासक महाराजा तख्तसिंह ने दिया| 
(B)चेलावास का युद्ध:- 18 सितम्बर 1857 
#इस युद्ध में भी अंग्रेजो की हार हुई| अजमेर से सेना ले कर आया AGG पैट्रिक लॉरेंस इनका साथ दिया गया मारवाड़ के पॉलिटिकल एजेंट मोक मेसन ने दिया | 
#मोकमेसन मारा गया क्रांतिकारियों ने इसका सिर आउवा के किले के दरवाजे पर लटका दिया | 
उपनाम -गौरो व कालों का युद्ध 
चेलावास का युद्ध पाली 
#ठाकुर खुशालसिंह ने शरण-कोठारिया के रावत जोधसिंह के पास 
#आत्मसम्पर्ण- 8 अगस्त 1860 (नीमच)
#मेजर टेलर की अध्यक्षता में एक कमीशन ने उनके खिलाफ जाँच की | और 10 नम्बर 1860 को खुशहालसिंह को रिहा कर दिया गया | 

(5)कोटा का विद्रोह :-
                                                  15 अक्टूबर 1857 को क्रांति प्रारम्भ 
                                  PA-मेजर बर्टन 
                                  क्रन्तिकारी -जयदयाल व मेहराबखाँ 

#राजस्थान में 1857 की क्रांति का सर्वाधिक योगदान कोटा का ही रहा | 
#कोटा में आमजन के साथ राजकीय सेनिको ने भी अंग्रेजो के साथ संघर्ष किया | 
#क्रांतिकारियों ने मेजर बर्टन का सिर धड़ से अलग कर दिया व सारे शहर में खुला प्रदर्शन किया | साथ ही उनके दो पुत्रो व एक डॉक्टर सैंडलर काटम को भी मौत के घाट उतर दिया | 
#कोटा के महाराव रामसिंह को उनके महल में नजर बंद किया एवं कोटा राज्य की तोपों को अपने कब्जे में ले लिया | 
#मार्च 1858 को मेजर रॉबर्ट्स के नेतृत्व में अंग्रेजी सैना ने कोटा की सेना पर आक्रमण किया और 30 मार्च 1858 को कोटा पर अधिकार कर लिया और  जयदयाल व मेहराबखाँ को फांसी दे दी गयी | 
कोटा में क्रांतिकारियों को बंधी बना लिया गया 
नोट- करोली के महारावल मदनपाल की सेना ने मेजर रॉबटर्स के साथ थी | 


*प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का अंत:-
अंग्रेजो का दिल्ली पर अधिकार 
-सितम्बर 1857 को मुग़ल सम्राट बहादुरशाह जफर को पकड़ लिया गया और दिल्ली पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया| 
1857 की असफलता के कारण 
-क्रांति के असफल होने का कारण देसी शासको का अंग्रेजो का साथ देना भी था| 
-क्रांतिकारियों के पास हथियारों की कमी व धन और रसद भी कम था | 
-बीकानेर शासक सरदारसिंह राजस्थान के एकमात्र ऐसे शासक थे जो स्वय अपनी सेना लेकर अंग्रेजो की सहायतार्थ अपनी रियासत से बाहर गए और 'बाड़लू ' नामक स्थान पर क्रांतिकारियों को परास्त किया | 
-करोली शासक ने भी अपनी सेना को अंग्रेजो की मदद के लिए भेजा | 
-जयपुर महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने अपनी सेना अंग्रेजो की सहायतार्थ मेजर ईडन के पास भिजवाई थी | 

क्रांति का तात्कालिक प्रभाव :-
-ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने 2 अगस्त 1858 को भारत में इस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर यहां का शासन सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन कर दिया | 
-गवर्नर जनरल का पद का नाम वयसरायल हो गया | 
-भारत का प्रथम वायसराय लार्ड केनिंग को नियुक्त किया गया | 

राजस्थान में 1857 की क्रांति

             प्रथम-स्वतंत्रता-संग्राम-आन्दोलन- 1857      क्रांति 1857 की  स्वाधीनता संग्राम-1857 से 1947 तक - *सम्पूर्ण  भारत में ...

Thursday, April 4, 2019

राजस्थान  का  एकीकरण :- 1947 से 1956 तक 
राजस्थान का  एकीकरण 

राजस्थान के गठन के प्रारम्भिक प्रयास :-
*30 मार्च ,1949  से पूर्व राजस्थान 19 रियासतों व 3 ठिकानों कुशलगढ़ ,नीमराणा और लावा  तथा चीफ कमिश्नर द्वारा प्रशासित अजमेर -मेरवाड़ा  प्रदेश में विभक्त था | 
*लॉर्ड माउंटबेटन ने 04 जून को भारत के विभाजन की घोषणा की | देसी रियासतों को यह अधिकार दिया गया की वे भारत संघ में विलय हो या पाकिस्तान में मिले अथवा स्वंय को स्वतंत्र घोषित कर दे | 
*रियासती विभाग की स्थापना -05 जुलाई ,1947 
-नेतृत्व -लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल 
-सचिव -वी.पी. मेनन  
#नोट -15 अगस्त 1947 को भारत स्वाधीन हुआ | 
*भारत सरकार के रियासती सचिवालय ने निर्णय लिया कि स्वतंत्र भारत में वे ही रियासते अपना पृथक अस्तित्व रख सकेंगी जिनकी आय 01 करोड़  रूपये वार्षिक एव जनसख्या 10 लाख या इससे अधिक हो | 
-इस माप दंड के अनुसार राजस्थान की केवल जोधपुर ,जयपुर ,उदयपुर ,बीकानेर  ही शर्त को पूरा करते थे | 
राजस्थान की प्रमुख रियासतों की समस्याऍ :-
(1) स्वतंत्रता एंव विभाजन के बाद हुए सांप्रदायिक झगड़े मुख्य कारण थे | 
(2)अलवर ,व भरतपुर में मेव जाति की समस्या पुन उभर कर आयी और साथ ही अलवर गाँधी जी हत्या में नाम आने के कारण विवादित था | 
(3)जोधपुर की भौगोलिक एंव सामाजिक स्थिति अत्यंत ही महत्वपूर्ण थी | जिसके कारण पाकिस्तान जोधपुर  तरफ मिलाना चाहता था | 
(4)बीकानेर संविधान निर्मात्री सभा का प्रतिनिधि था ,परन्तु फिर भी शासक का मन स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखने का ही था | 
@नोट-मेवाड़ महाराज ने 25 जून 1946 ई. को जयपुर में राजधानी राजाओं का एक सम्मेलन आयोजित किया जिसका उदेश्य एक संघ बनाना था | किन्तु समस्त शासक एक मत न हो सके इसलिए महाराजा की योजना सफल म हो सकी | 
-इसी तरह डूँगरपुर के शासक ने भी बागड़ राज्य (डूँगरपुर -बांसवाड़ा -प्रतापगढ़ )बनाने का असफल प्रयास किया | 
राजस्थान के एकीकरण के निम्नलिखित चरण:-
    चरण   संघ       तिथि               रियासते 
(1) प्रथम -मत्स्य संघ -18 मार्च,1948-अलवर,भरतपुर,करौली,धौलपुर(A+B+C+D)ठिकाना-नीमराणा
पहला चरण राजस्थान एकीकरण का 

(2)द्वितीय -राजस्थान संघ -25 मार्च1948 -बांसवाड़ा ,बूंदी ,झालावाड़,कोटा, प्रतापगढ़,टोंक,किशनगढ़,तथा शाहपुरा रियासते व ठिकाना -कुशलगढ़ 
नोट -प्रदेश के नाम में राजस्थान शब्द पहली बार जुड़ा | 
दूसरा चरण पूर्व राजस्थान संघ 

(3)तृतीय -संयुक्त -18 अप्रैल1948 - राजस्थान संघ में उदयपुर रियासत मिली | 

(4)चतुर्थ -वृहत राजस्थान-30 मार्च 1948 - जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर,बीकानेर(JJJB)रियासते सयुक्त राजस्थान में मिली | 
-राजस्थन का गठन इसी तिथि को माना जाता है तथा प्रति वर्ष इसी दिन राजस्थान दिवस मनाया जाता है | 
-7 अप्रैल 1949 को राजस्थान के प्रथम प्रधानमंत्री( बाद में पहले मुख्यमंत्री) हीरालाल शास्त्री जी ने शपथ ग्रहण की | 

(5)पंचम-संयुक्त वृहत्तर राज.-15 मई 1949 -वृहत राजस्थान का मत्स्य संघ में विलय हुआ | 

(6)षष्ठम-राजस्थान -जनवरी 1950 -सिरोही का विलय(आबू व दिलवाड़ा तहसील को छोड़कर)
राजस्थान में सिरोही का विलय 

नोट-26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने पर इस राज्य का विधिवत रूप से राजस्थान  नाम दिया गया | 

(7)सप्तम-वर्तमान राजस्थान -1 नवम्बर 1956 को राजस्थान संघ+अजमेर-मेरवाड़ा+आबू-दिलवाड़ा तहसील व मध्य्प्रदेश का सुनेल टप्पा राज्य में शामिल हुए | और राज्य के झालावाड़ जिले के एक भाग सिरोंज क्षेत्र कप मध्यप्रदेश में मिलाया गया |
आधुनिक राजस्थान 

*संविधान के 7 वें संशोधन द्वारा 'ए' व 'बी' श्रेणी का भेदभाव को बंद कर दिया गया तथा राजप्रमुख के स्थान पर राजयपाल का पद सृजित हुआ | 
आपनो राजस्थान !!!

वस्तुनिष्ठ प्रश्न  :-

प्रश्न (1)  1 नवम्बर 1956 से पहले राजस्थान राज्य के प्रमुख जाने जाते थे ?
उत्तर 

प्रश्न (2) राज्य की किस रियासत को प.जवाहरलाल नेहरू ने विश्व का आठवाँ आस्चर्य कहा ?
उत्तर 

प्रश्न (3) पुनर्गठन के बाद (1.1.1956 को ) राज्य में जिले थे?

प्रश्न(4)संविधान निर्मात्री परिषद में सर्वप्रथम अपना प्रतिनिधि किस रियासत ने भेजा था?
उत्तर 

प्रश्न(5)मत्स्य संघ को वृहत राजस्थान में किस समिति की सिफ़ारिशो पर मिलाया गया?
उत्तर 


राजस्थान का इतिहास 

राजस्थान का एकीकरण ;(RAJASTHAN BSTC SPECIAL 2019)

राजस्थान  का  एकीकरण  :-  1947 से 1956 तक  राजस्थान का  एकीकरण  राजस्थान के गठन के प्रारम्भिक प्रयास :- *30 मार्च ,1949  से पूर्व ...

 

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